Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2023 · 1 min read

अध्यापक:द कुम्भकार

गीली मिट्टी को गढ़ गढ़ कर,
देते बर्तन सा वृहदाकार।
अनुपम है योगदान तेरा,
है नमस्कार हे कुंभकार।

आगे चल कर कोई घड़ा बने,
प्याला प्याली कुल्हड़ थाली ।
सबको आकार दिया विधि से,
कोई भी पात्र नहीं खाली।

हैं चाक से उतर चले पकने,
कल चाक पर कोई और चढे। समभाव में कारीगर रचता,
नित भिन्न भिन्न के पात्र गढ़े।

अलविदा स्वागतम है समान,
एक कुंभकार का यही मरम,
अवसाद हर्ष से ऊपर रह,
करता जाए निज सहज करम ।

सतीश सृजन

264 Views
Books from Satish Srijan
View all

You may also like these posts

जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
" रोटियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
जीवन मंत्र वृक्षों के तंत्र होते हैं
Neeraj Agarwal
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
आज,
आज,
हिमांशु Kulshrestha
एश्वर्य
एश्वर्य
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
sushil sarna
चुन लेना
चुन लेना
Kavita Chouhan
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
Ravikesh Jha
किसी के प्रति ईर्ष्या का भाव वैमनस्य का उद्भव तामसिक प्रवृत्
किसी के प्रति ईर्ष्या का भाव वैमनस्य का उद्भव तामसिक प्रवृत्
Rj Anand Prajapati
खुद पर ही
खुद पर ही
Dr fauzia Naseem shad
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Ayushi Verma
*Fruits of Karma*
*Fruits of Karma*
Poonam Matia
प्रेम के वास्ते
प्रेम के वास्ते
Mamta Rani
ख्वाब
ख्वाब
Dinesh Kumar Gangwar
अभी सत्य की खोज जारी है...
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Contradiction
Contradiction
Shashi Mahajan
ना कोई हिन्दू गलत है,
ना कोई हिन्दू गलत है,
SPK Sachin Lodhi
आसमान - घौंसला !
आसमान - घौंसला !
पूर्वार्थ
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मां
मां
Charu Mitra
221/2121/1221/212
221/2121/1221/212
सत्य कुमार प्रेमी
मैं बसंत
मैं बसंत
Meenakshi Bhatnagar
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
*
*" पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म"*
Shashi kala vyas
मैं  ज़्यादा  बोलती  हूँ  तुम भड़क जाते हो !
मैं ज़्यादा बोलती हूँ तुम भड़क जाते हो !
Neelofar Khan
"निज भाषा का गौरव: हमारी मातृभाषा"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आदि शक्ति
आदि शक्ति
Chitra Bisht
Loading...