दौलत
शीर्षक – दौलत
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दौलत ही आजकल नाम शोहरत है।
धन संपत्ति और दौलत ही तो मान सम्मान हैं।
आज आधुनिक परिवेश दौलत ईश्वर के साथ हैं।
बिन दौलत के सच न हम न तुम होते हैं।
सच तो न चाहत न इश्क हम अब करते हैं।
आज तो मन भावों में रिश्ते ही हम दौलत से रखते हैं।
हम न तुम आज आधुनिक परिवेश में दौलत है।
आज जीवन और जिंदगी का सच दौलत होती हैं।
न इंसान न इंसानियत का दौलत के बिना वजूद होता हैं।
हां सच आज कलयुग में दौलत ही भगवान होता हैं।
दौलत के गुरूर में एक दूसरे को भूल चुके हैं।
सच तो दौलत के संग बिना हमारे रिश्ते न होते हैं।
आओ सोचे दौलत और हमारे ख्वाब हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र