तुम थे पास फकत कुछ वक्त के लिए।
तुम थे पास फकत कुछ वक्त के लिए।
इसी वक्त में सारी जिन्दगी हम जी लिए।।1।।
तेरी फुरकत में अब हम जी मर रहे है।
बयाबां से देखो हम कितने सख्त हो गए।।2।।
अजीब से फितूर में अब है रहने लगे।
उम्मीद ना किसी से नामुराद हम हो गए।।3।।
ये नामालूम था कि तुम चले जाओगे।
इश्क कर के देखो हम नाफहम हो गए।।4।।
तेरा साथ पा करके हम हंसने लगे थे।
तन्हा हो कर के फिर से गुमसुम हो गए।।5।।
गर्दिशों का दौर होगा किसे था पता।
जानें कैसे गालिब हमपर ये गम हो गए।।6।।
फुरकत=जुदाई
बयाबां=जंगली
ना फहम=मूर्ख
गालिब=विजयी
ताज मोहम्मद
लखनऊ