दौलत में मिलेगा न वो शोहरत में मिलेगा
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं के साथ
ग़ज़ल
दौलत में मिलेगा न वो, शोहरत में मिलेगा।
गर दिल में मुहब्बत है, मुहब्बत में मिलेगा।।
हम ढूढ़ रहे है उसे, अमरित में मगर वो ।
मीरा के हलाहल भरे ,शर्बत में मिलेगा।।
लोगों की अमीरी से ,सरोकार नहीं है।
वो फिर से सुदामा की ही ,ग़ुरबत में मिलेगा।।
पकवान तकब्बुर के उसे भाते नही है।
वो फिर से बिदुर की उसी दावत में मिलेगा।।
जब ज़ुल्मो सितम सह के, हो जाये कोई बाग़ी।
फिर वो उसी बाग़ी की ,बग़ावत में मिलेगा।।
जब क़ल्ब करे हक की वकालत तो समझ लो।
जो दिल से सदा आये ,सदाक़त में मिलेगा।।
जब कोई “अनीस ” अच्छी नसीहत दे समझ लो।
वो रब इसी अपने की, नसीहत में मिलेगा।।
– अनीस शाह “अनीस”
ग़ुरबत=दरिद्रता।तकब्बुर =घमंड। क़ल्ब=दिल।सदा=आवाज। सदाक़त=सच्चाई,गवाही।