दौर
जाने कैसे दौर से गुजर रहा हूँ मैं,
वक़्त के हर मोड़ पे लड़खड़ाता हूँ,
वो बन्दा ही जख्म-ए-संगीन देता है,
जिसको पूरे दिल से मैं अपनाता हूँ ।।
*नील पदम् *
जाने कैसे दौर से गुजर रहा हूँ मैं,
वक़्त के हर मोड़ पे लड़खड़ाता हूँ,
वो बन्दा ही जख्म-ए-संगीन देता है,
जिसको पूरे दिल से मैं अपनाता हूँ ।।
*नील पदम् *