दौर ऐसा हैं
दौर ऐसा हैं ज़िन्दगी का, मौत से दूर होना चाहता हैं,
प्यार ऐसा मेरे दोस्त का,बेहद नजदीक होना चाहता हैं।
लाजवाब हैं वो जवाब का, सवाल होना चाहता हैं,
तबादला चाहता हैं सहर का,शाम होना चाहता हैं।
करीब हैं बेहद दिल का,दिमाग होना चाहता हैं,
नाम दिया हैं मोहब्बत का,इश्क होना चाहता हैं।
खैर आगाज़ हो “शमा “उसकी खुशियों का,
फक़त वक्त ये सरेआम अंजाम होना चाहता हैं।
शमा परवीन