दो हजार का नोट
बाहर हो गया चलन से, दो हजार का नोट ।
भ्रष्ट जनों पर पड़ गयी, है तीखी सी चोट ।।
है तीखी सी चोट, धरे थे नोट सम्हारे,
कोने में अब बैठि-बैठि के आँसू डारे ।
कह कवि ‘सूर्य प्रकाश’, एक ये दुःख जुड़ गया,
दो हजार का नोट साथ ले ‘यान’ उड़ गया ।।