दो मीत (कुंडलिया)
चलते जीवन में मधुर, लिए हास दो मीत (कुंडलिया)
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चलते जीवन में मधुर ,लिए हास दो मीत
उड़ते नभ में दूर तक , गाते सुंदर गीत
गाते सुंदर गीत , देह दो एक कहाते
डाल हाथ में हाथ , गृहस्थी सुखद बसाते
कहते रवि कविराय ,हाथ रह जाते मलते
डँस लेता जब काल ,एक को चलते-चलते
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मीत = मित्र,साथी ,दोस्त
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451