दो बिल्लियों की लड़ाई -आर के रस्तोगी
मिली कही दो बिल्लियों को एक रोटी
रोटी चुपड़ी हुई पर बहुत थी मोटी
एक बिल्ली बोली, पूरी रोटी मैं खाऊँगी
दूसरी बिल्ली बोली,पूरी रोटी मैं खाऊँगी
इसी बात पर वे आपस में लड़ने लगी
आपस में,मै खाऊं,मै खाऊं करने लगी
इस झगड़े को एक बंदर देख रहा था
रोटी खाने के लिये वह ललच रहा था
बन्दर बोला,बहन झगड़ा तुम क्यों करती
इस रोटी के दो बराबर हिस्से कर दूंगा
दोनों को खाने के लिये बराबर ही दूंगा
बिल्लियों ने ने किया जरा सोच विचार
रोटी बँटवाने के लिये हो गयी तैयार
बन्दर झट एक तराजू लाया
रोटी के दो टुकड़े कर पाया
एक टुकड़े को एक पलड़े में रक्खा
दूजे टुकड़े को दूजे पलड़े में रक्खा
पर एक पलड़ा हल्का दूजा था भारी
भारी पलड़े की रोटी बंदर खुद खा जाता
इस तरह वह बार बार करता जाता
जब टुकड़ा थोडा सा रह गया
उसको भी खुद बंदर खा गया
बोला ये मेरी मेहनत का फल था
इसलिए इसको मैं खा गया था
बिल्लियाँ बंदर को ताकती ही रह गयी
आपस में ही वे खिसियानी सी हो गयी
इस घटना से यह शिक्षा मिलती
अपना झगड़ा खुद निपटाओ
दूसरे के कहे में कभी मत आओ
आर के रस्तोगी