दो पल का जिंदगानी…
ये जिंदगी हमारी तुम्हारी
दो पल की है जिंदगानी
तत्क्षण है कभी फिर ना
रहेंगे इस भव, संसार में
कभी खुशी कभी क्लेश
अपनी प्रीति के लिए यदा
किसी को न दें आघात कभी
ये बस दो पल की जिंदगानी…
अक्सर मानुज इस जग में
अपनी खुशियों के लिए वो
त्रुटिपूर्ण पंथ पर चल देते
यह होता होता बोध्य जरूर
पर अंत में पेचीदा झेलाता
हम सबों को सतत ही यहां
इन अल्प खुशी हेतु, न जाएं …
ये बस दो पल की जिंदगानी …
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार