Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2023 · 3 min read

दो दोस्त – कहानी

दो दोस्त – कहानी

एक गाँव में दो दोस्त रहा करते थे नाम थे विमल और राज | दोनों ही मध्यम वर्ग के परिवार से सम्बंधित थे | वैसे घर में किसी प्रकार के संसाधनों की कोई कमी नहीं थी | उनके बच्चे भी एक दूसरे से एक भी दिन मिले बिना और खेले बिना नहीं रहते थे और वे एक दूसरे की पढ़ाई में भी मदद किया करते थे | दोनों दोस्त विमल और राज एक ही कंपनी में काम करते थे जो कि गाँव से थोड़ा दूर पर स्थित थी | दोनों परिवार के सदस्यों में बहुत ही ज्यादा प्रेम था | एक दूसरे की परेशानियों का उन्हें भान था | थोड़ी बहुत जमीन भी थी जिस पर दैनिक आवश्यकता की चीजें उगाया करते थे |
आसपास के सभी लोग इनकी दोस्ती की मिसालें दिया करते थे | विमल गाँव में ही जमीन खरीद रहा है जिसकी जानकारी राज को भी है और वह बहुत खुश भी है कि उसका दोस्त जमीन खरीद रहा है | जमीन की रजिस्ट्री का दिन करीब है और राज कहता है कि मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा क्योंकि इतने सारे पैसे अकेले ले जाना परेशानी का सबब हो सकता है | विमल हाँ कर देता है | किन्तु जिस दिन विमल को तहसील जाना होता है ठीक एक दिन पहले विमल फ़ोन पर राज को साथ ले जाने से मना कर देता है | राज को समझ नहीं आता कि उसका सबसे अच्छा दोस्त ऐसा क्यों कर रहा है | राज को बुरा तो लगता है पर वह कुछ कहता नहीं |
रजिस्ट्री के दिन विमल अपने साथ पांच लाख रुपये लेकर घर से तहसील के लिए अकेले ही रवाना होता है | रास्ते में घात लगाकर बैठे दो लुटेरे विमल पर हमला कर देते हैं और पैसे छीनने की कोशिश करते हैं | इसी बीच राज आकर विमल को उन लुटेरों से बचा लेता है | विमल को समझ नहीं आ रहा था कि उसका दोस्त राज अचानक कैसे उसे बचाने के लिए आ गया | जबकि उसने तो उसे अपने साथ आने से मना कर दिया था | विमल को अपने किये पर बहुत पश्चाताप होता है और राज के इस उत्तम कृत्य के लिए वह उसे शुक्रिया कहता है |
राज न चाहकर भी विमल से पूछ बैठता है कि आखिर उसके दोस्त ने उसे तहसील आने के लिए मना क्यों किया | तब विमल कहता है कि दो दिन पहले उसने घर पर रखी एक पत्रिका में एक कहानी पढ़ी जिसमें एक दोस्त पैसों के लालच में दूसरे दोस्त की हत्या कर देता है | इस कहानी का मुझ पर इतना गहरा असर क्यों हुआ मुझे पता नहीं | और मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त पर शक कर बैठा |
तब राज कहता है कि जो कहानी तुमने पढ़ी वैसी ही एक कहानी मैंने भी कल ही पढ़ी जिसका नाम था “ दो दोस्त “ जिसमें एक दोस्त अपने दोस्त की जान बचाने के लिए खुद की जान पर खेल जाता है | पर अपने दोस्त पर आंच नहीं आने देता | अब तुम्हीं बताओ मेरे दोस्त मैं तुम्हें मुसीबत में कैसे देख सकता हूँ | हम दोनों अच्छे दोस्त हैं और आगे भी रहेंगे |
विमल अपने दोस्त राज को गले लगा लेता है और फूट – फूटकर रोने लगता है | राज , विमल को सांत्वना देता है | दोनों तहसील की ओर चल देते हैं |

15 Likes · 19 Comments · 1033 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
*राजा राम सिंह : रामपुर और मुरादाबाद के पितामह*
*राजा राम सिंह : रामपुर और मुरादाबाद के पितामह*
Ravi Prakash
********* कुछ पता नहीं *******
********* कुछ पता नहीं *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
नमन!
नमन!
Shriyansh Gupta
सत्य की खोज में।
सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
अद्भुद भारत देश
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
The unknown road.
The unknown road.
Manisha Manjari
अंदाज़े शायरी
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मर्द रहा
मर्द रहा
Kunal Kanth
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जीता जग सारा मैंने
जीता जग सारा मैंने
Suryakant Dwivedi
वाह ग़ालिब तेरे इश्क के फतवे भी कमाल है
वाह ग़ालिब तेरे इश्क के फतवे भी कमाल है
Vishal babu (vishu)
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
बिन मांगे ही खुदा ने भरपूर दिया है
हरवंश हृदय
घट -घट में बसे राम
घट -घट में बसे राम
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पापा आपकी बहुत याद आती है !
पापा आपकी बहुत याद आती है !
Kuldeep mishra (KD)
■चंदे का धंधा■
■चंदे का धंधा■
*Author प्रणय प्रभात*
क्या खूब दिन थे
क्या खूब दिन थे
Pratibha Pandey
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Surinder blackpen
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हां....वो बदल गया
हां....वो बदल गया
Neeraj Agarwal
# जय.….जय श्री राम.....
# जय.….जय श्री राम.....
Chinta netam " मन "
मेरा चाँद न आया...
मेरा चाँद न आया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3082.*पूर्णिका*
3082.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी औरत से
किसी औरत से
Shekhar Chandra Mitra
"छछून्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
पल भर फासला है
पल भर फासला है
Ansh
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नयी भोर का स्वप्न
नयी भोर का स्वप्न
Arti Bhadauria
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...