दो दिन का मेहमान है
पैसा ही पैसा इस जग मे,
पैसा ही तो शान है|
तू क्यो इतराता इतना,
दो दिन का मेहमान है||
नोट बंदी पर इक कविता,
मे तो यारो वोल रहा|
अमीर के जीवन मे ,
मे जहर की पुढ़िया घोल रहा||
आधी रात के मोदी ने जी
एक फटाका फोड़ा रे|
सारे हो गये डोरा भैया,
बाप बचो ने मोड़ा रे||
नोट बंदी के कारण भैया,
रातो रात न सोते रै|
बैंको मे वो लेन लगाकर,
जीप मे पैसा ढोते रै||
नाक मे दम कर दई मोदी ने,
सारे भूखा सोते रे|
नोटो के ऊपर सोते कोई,
नोटो के कारण रोते रे