दो दिन का प्यार था छोरी , दो दिन में ख़त्म हो गया |
दो दिन का प्यार था छोरी
दो दिन में ख़त्म हो गया
समझा था मरहम तुज़को
पर दिल पे ज़ख्म हो गया
ज़ान माना था तुजको
ये ही तो जुल्म हो गया
पर तूने डसा है ऐसा
हाये हमपे सितम हो गया
प्यार न माँगू अब मैं
न ही मांगू अब पानी
ऐसी तू क़ातिल निकली
के दिल का कत्ल हो गया
कोई तो दवा कराओ
कोई तो दुआ लगाओ
लड़कों के दिलों से खेलना
हैं तेरा शौक बन गया
धागा सा तोड़ती मुझको
तो भी बंध जाता मैं
पन्ना – सा फाड़ती मुझको
तो भी जुड़ जाता मैं
पर तूने इश्क से काटा
ज़ीना भी नरक हो गया
बातें हैं मीठी छुरिया
आँखों से चले कटारी
सीता समझा था तुज़को
पर तू कलयुग की नारी
डिजिटल प्यार था तेरा
डिजिटल ही खत्म हो गया
समझा था मरहम तुज़को
पर दिल पे ज़ख्म हो गया
✍️ D.k math
◆ Note ◆
यह कविता मात्र मज़ाक के परपज़ से बनाई हैं
कृपया कोई इसे दिल पर न ले !