** दो जमात पढ़े नहीं **
जूनूं इश्क का इस क़दर सर चढ़ बोल रहा
हवा में फिर ठहर – ठहर दिल डोल रहा
ना जाने यह फितूर इश्क का उतरेगा कब
दो जमात पढ़े नहीं फिर इश्क मुँह से बोल रहा ।।
?मधुप बैरागी
जूनूं इश्क का इस क़दर सर चढ़ बोल रहा
हवा में फिर ठहर – ठहर दिल डोल रहा
ना जाने यह फितूर इश्क का उतरेगा कब
दो जमात पढ़े नहीं फिर इश्क मुँह से बोल रहा ।।
?मधुप बैरागी