दो चेहरे
दो चेहरे
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हाल ही में उसके माँ की मृत्यु हुई थी।सुना तो मैं भी गया था।वहां जाकर जो देखा तो मैंने सिर पकड़ लिया।
जिस तरह पति पत्नी दहाड़े मार कर रोने का ड्रामा कर रहे थे कि लोगों /पड़ोसियों में भी खुसुर पुसुर होने लगी।
पत्नी की खुशी के लिए अपने बीबी बच्चों के साथ उसी शहर में रहने वाले ये पति पत्नी ऐसा शानदार अभिनय कर रहे थे कि जैसे माँ का कितना ख्याल रखा, मान सम्मान दिया, सेवा की हो और अब घड़ियाली आँसुओं से शायद माँ की मृत आत्मा को भी छलनी करने की बेशर्मी। हाय रे ये कैसी लीला है एक व्यक्ति दो दो चेहरे।
कुछ और कहना भी खुद को ही शर्मिंदा करने वाला है।बस मन में एक ही भाव आता है कि हे प्रभु!बेऔलाद रखना,मगर ऐसी औलाद किसी को न देना।
? सुधीर श्रीवास्तव