*दो-चार दिन की जिंदगी में, प्यार होना चाहिए (गीत )*
दो-चार दिन की जिंदगी में, प्यार होना चाहिए (गीत )
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दो-चार दिन की जिंदगी में, प्यार होना चाहिए
( 1 )
रणक्षेत्र के बादल सदा से, विश्व पर छाते रहे
विस्तारवादी कामना से, शस्त्र नित आते रहे
कितने मरे असमय सिपाही, वीरगति को प्राप्त हो
रोने लगी हँसती गृहस्थी, आँसुओं से व्याप्त हो
यह विश्व एक कुटुंब जीवन,सार होना चाहिए
( 2 )
बूढ़ा हुआ तन किंतु मन की, वासना बढ़ती रही
भौतिक पदार्थों की अपावन, चाहना चढ़ती रही
इंसान का इंसान से, संबंध मैला हो गया
चोरी डकैती और हत्या, से विषैला हो गया
जितना दिया भगवान ने, आभार होना चाहिए
( 3 )
यह मृत्यु ईश्वर की व्यवस्था, श्रेष्ठ अति पावन रही
जेठ की गर्मी के जैसे, बाद ऋतु सावन रही
यह मृत्यु यदि होती नहीं, तो अधमरा रहता सदा
जन-वृद्ध रोगी मृत्यु की ही, प्रार्थना कहता सदा
वरदान जैसा मृत्यु का, सत्कार होना चाहिए
दो-चार दिन की जिंदगी में प्यार होना चाहिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर , उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451