दो घूंट
हर शाम
मयखाने चले जाने का
शौक था
उन्हे ।
दो घूंट
और रंगीन रातों का
जनून धा
उन्हे ।
गमो को
दरकिनार रखने का
हुनर था
उन्हे ।
कल जिन्दगी
रहे न रहे
इल्म था
उन्हे ।।
राज विग 23.05.2020.
हर शाम
मयखाने चले जाने का
शौक था
उन्हे ।
दो घूंट
और रंगीन रातों का
जनून धा
उन्हे ।
गमो को
दरकिनार रखने का
हुनर था
उन्हे ।
कल जिन्दगी
रहे न रहे
इल्म था
उन्हे ।।
राज विग 23.05.2020.