दो आफ़ताब (शायरी)
आज दो गुलाब एक साथ देखे,
इतने हसीं ख्वाब एक साथ देखे।
दिल की धड़कन ही रुक गयी थी,
जब दो आफ़ताब एक साथ देखे।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
आज दो गुलाब एक साथ देखे,
इतने हसीं ख्वाब एक साथ देखे।
दिल की धड़कन ही रुक गयी थी,
जब दो आफ़ताब एक साथ देखे।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत