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9 Jun 2021 · 1 min read

दो अर्थो की जिंदगी

दो अर्थो की ये जिंदगी
बेहतर कभी तो कभी बदतर दिख रही है
कहीं राहत से भर जाती है साँसे
तो कहीं उन्ही साँसो की अटकनो से
रुहे बिलख रही है।
एक तरफ तो कोई धीर से है भरा
मदमस्त है पड़ा
दूजी और एक बेआवाज चिख रही है।
एक अनबन सी है, एक चाहत सी है
इंसानी भावो मे लिपटी
एक समझ हर रोज नयी समझ सिख रही है।
दो अर्थों की ये जिन्दगी
बेहतर कभी तो कभी बदतर दिख रही है

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 356 Views
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