दोहे
नेता फिर करने लगे, वादों की बौछार।
जनता सारी कर रही, मेंघों की जयकार।।
राजनीति के ढोल में, बहुत बडा है पोल।
मुहर लगाना तुम मगर, अपनी आँखें खोल।।
चाटुकार देने लगे, मतदाता पर जोर।
सरकार बनेगी फिर यही गली गली में शोर।।