नशीहत भरे दोहे
—–दोहे—–?
आँसू मोती आँख का,टूटे कभी न मीत।
होता सुर बिन बोर है,अच्छा मीठा गीत।।
साहिल पर तू बैठ के,चाहे मोती यार।
बिना परीक्षा पास-सा,ये तो हुआ विचार।।
गलती जाने देखिए,माने ना मन बात।
सुरसा मुख-सा फैल के,स्वार्थ धँसे दिन-रात।।
सच मैं कहता शौक़ से,बुरा मानते लोग।
यकीन करते झूठ पर,फिरें लगाते भोग।।
मैं-मैं करके फूलते,अहं ज़रा तू देख।
गुब्बारा पल फूट के,यहीं दिखाए रेख।।
रहो सदा तुम मौज में,जीवन में हो ओज।
ख़ुशियाँ आँगन नाचती,देखोगे तुम रोज।।
छाया देता पेड़ है,देता है फल फूल।
बुजुर्ग साया पेड़-सा,जाना कभी न भूल।।
देख गैर को फूलते,मिलते हँसके लोग।
ख़ुद भी राजी वो सुनो,औरों का भी योग।।
रिश्ते प्यारी रीत हैं,माला मोती प्रीत।
भाते मन को ख़ूब हैं,निभते जब दिल जीत।।
औरों को ख़ुश देखके,होता ख़ुश जो यार।
जीता लम्बी उम्र है,पाता सबका प्यार।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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