दोहे
: विषपायी शेखर सुधा,इन्दु प्रखर आलोक।
जगत्पिता जगदम्बिका, हरें सकल भव शोक।।
मंगल परिणय शम्भु का,अम्ब उमा के साथ।
करते सबकी कामना, पूरण भोलेनाथ।।
: धरा भरी सौगात से,छेड़े तान बसन्त।
शस्यश्यामला धरित्री,महके सकल दिगन्त।।
: लाल पुरोधा भक्त हे,श्रद्धा के अवतार।
श्रद्धांजलि अर्पित करूँ,प्रनवउँ बारम्बार।।
:
अनुकम्पा हो ईश की ,बनते आशावान।
बिन हरिकृपा न दीखती,आशा दीप महान।।
: होली चारों भ्रात सँग ,खेलेंगे रघुवीर।
कल-कल सरयू बह रही,सुखदा विमला नीर।।
विविध रूप धरती गगन,प्रतिपल बदले रंग।
सदा सहारा दे रहे,ईश्वर हैं नित संग।।
पूर्णब्रह्म पूरक प्रकृति, माहेश्वरी महेश।
शक्ति शम्भु के साथ में,रिद्धि सिद्धि विघ्नेश।।
गदा पद्म सँग शंख है,चक्रसुदर्शन साथ।
हृदयमध्य रमती रमा,बसें नयन में नाथ।।
त्रिगुण मूर्ति त्रिगुणायतन,त्रिगुण सृजित संसार।
त्रिगुण तापत्रय वेग हर,कृपा करें करतार।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी