दोहे-
दोहे-
क्या पाता पाकर तुम्हें ,है यह नहीं सवाल।
बुरा लगा इस बात का,गली न अपनी दाल।।1
उसको ही मिर्ची लगी,जिसे कही सच बात।
चले गए यों छोड़कर ,सारे रिश्ते- नात।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय
दोहे-
क्या पाता पाकर तुम्हें ,है यह नहीं सवाल।
बुरा लगा इस बात का,गली न अपनी दाल।।1
उसको ही मिर्ची लगी,जिसे कही सच बात।
चले गए यों छोड़कर ,सारे रिश्ते- नात।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय