दोहे
कुछ दोहे
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रोम रोम में राम है ,
रोम रोम है राम ।
राम राम स्वीकारिये ,
हे प्रभु सीताराम ।।
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जनक नन्दिनी जानकी ,
जनकसुता जगपाल ।
जय जय जय जगदम्बिका ,
ज्योति तिहारौ लाल ।।
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वैदेही की कामना ,
पूर्ण करी ज्यों अम्ब ,
तैसै ही अपनी कृपा ,
रखना माँ जगदम्ब ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा !
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