दोहे
दोहे
अमृत बेला प्रभात की, खोलिए गृह कपाट।
रुनझुन के संगीत में, आती मेरी मात।।
गले लगाने आ रही, दुर्गा का यह रूप।
तम हरने अब आ रही, छाई उजली धूप।।
भगवती ब्रह्मचारिणी, नमन करो स्वीकार।
सोम्यरूप सुहावनी दर्शन दो इक बार।।
धूप दीप अरु खोपरा ,पुष्प पत्र का हार।
रजत थाल फल- फूल की, भेंट करो स्वीकार।।
कलह- क्लेश से दूर रहें ,हर वह आंगन द्वार।
व्याधि विपदा सब कटे, चरण पड़े इक बार।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश