Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2018 · 1 min read

दोहे

धर्म वही जो मान दे,राजा रंग फ़िजूल।
पुण्य हेतु हों फूल तो,पाप हेतु हों शूल।।//1

दृष्टि रखे जो एक है,देता सबको न्याय।
राजा वह तो नेक है,पलपल पूजा जाय।।//2

झूठ हुये है शूल सम,सच होता सम फूल।
शूल चुभे तो दर्द हो,फूल ख़ुशी अनुकूल।।//3

साख रहे चाहें सभी,दूर करें बिन साख।
कनक गले का हार हो,बाहर फैंकें राख।।//4

हीरे सम उर प्रेम है,घर-मन रखता शाद।
मन होता है शाद तो,लगता जग आबाद।।//5

झाँक रहा घन बीच से,तुमसा सुंदर चाँद।
तान प्यार की छेड़ता,बादल को ज्यों फाँद।।//6

चलना सीधी राह का,होती चाहे देर।
सबको भाता रूप है,देख सरलता घेर।।//7

अवसर को मत छोड़िए,मिले एक ही बार।
रोते रहिए बाद में,देंगे सब दुत्कार।।//8

हुनर खुदी में डाल के,बनिए जग की शान।
जैसे हीरा एक है,मान कोयला खान।।//9

संगत अच्छी राखिए,मिलते गुण भरपूर।
माली बेचे फूल है,ख़ुशबू हाथ हुज़ूर।।//10

#आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
791 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
अपने वीर जवान
अपने वीर जवान
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
VINOD CHAUHAN
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not m
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not m
आकांक्षा राय
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
विजेता
विजेता
Sanjay ' शून्य'
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
Manju sagar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
एक गुलाब हो
एक गुलाब हो
हिमांशु Kulshrestha
2864.*पूर्णिका*
2864.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पाने की आशा करना यह एक बात है
पाने की आशा करना यह एक बात है
Ragini Kumari
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
Ravi Prakash
dream of change in society
dream of change in society
Desert fellow Rakesh
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक "धूप के उजाले में" पर एक नजर
Paras Nath Jha
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
*Author प्रणय प्रभात*
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दिल ए तकलीफ़
दिल ए तकलीफ़
Dr fauzia Naseem shad
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सत्य की खोज
सत्य की खोज
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"शिक्षक"
Dr Meenu Poonia
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
Seema gupta,Alwar
"रुख़सत"
Dr. Kishan tandon kranti
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
हम दोनों के दरमियां ,
हम दोनों के दरमियां ,
श्याम सिंह बिष्ट
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
पागल
पागल
Sushil chauhan
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
छह दिसबंर / MUSAFIR BAITHA
छह दिसबंर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
ईमेल आपके मस्तिष्क की लिंक है और उस मोबाइल की हिस्ट्री आपके
Rj Anand Prajapati
Loading...