दोहे- माँ है सकल जहान
दोहे- माँ है सकल जहान
रहकर माँ के गर्भ में ,आती तन में जान।
माँ के सम्मुख तुच्छ है,मित्रो सकल जहान।।1
टाँगा मैंने कक्ष में ,जब से माँ का चित्र।
घर मंदिर सा हो गया,तब से बड़ा पवित्र।।2
जिसको जीवन में मिला,माँ से आशीर्वाद।
वही जिंदगी में सफल,और हुआ आबाद।।3
माँ का आँचल जगत में,अद्भुत और अनूप।
नहीं पहुँचती है वहाँ ,कभी ग़मों की धूप।।4
होटल में खाने गए ,आई माँ की याद।
माँ के हाथों का नहीं,आया उसमें स्वाद।।5
माँ का आदर कीजिए,बनकर रहिए भक्त।
उसके आशीर्वाद से ,परिवर्तित हो वक्त।।6
चाहे जितनी दूर हो ,पर लगती माँ पास।
दुनिया उसको मानती,प्यार भरा अहसास।।7
माँ की ममता का बहुत, याद आ रहा गाँव।
मिलती थी हमको जहाँ,नित आँचल की छाँव।।8
केवल माता की दुआ,मेरा करे बचाव।
दुनिया बैरी दे रही,बस घावों पर घाव।।9
माँ की तो हर बात में, रहता मेरा जिक्र।
वह करती है सर्वदा,ज़ाहिर अपनी फिक्र।।10
रहती है माँ की दुआ, जग में जिसके साथ।
झुका न पाता है कभी ,कोई उसका माथ।।11
घर में अल्बम में मिली,जब माँ की तस्वीर।
मिटी गरीबी हो गया ,मैं तो महा अमीर।।12
पूजा और नमाज़ की,उसको क्या दरकार।
उठकर करता हर सुबह,जो माँ का दीदार।।13
माँ की जो सेवा करे,बनकर श्रवण कुमार।
खुल जाते उसके लिए,स्वतः स्वर्ग के द्वार।।14
माँ ने यदि होती लिखी,बच्चों की तकदीर।
हिस्से में आती नहीं ,फिर तो कोई पीर।।15
बिछुड़े जब माँ पुत्र से,हो जाती बेचैन।
सदा पुत्र की याद में,रहे भिगोती नैन।।16
संतति होती जिगर का,टुकड़ा सच ये बात।
जब वह माँ से दूर हो ,मुरझा जाते गात।।17
सबसे सुन्दर पालना ,जग में माँ की गोद।
जहाँ कष्ट हर दूर हो,मिले अतुल आमोद।।18
रहें सुरक्षित सब वहाँ, और मिले आमोद।
रखती भय से मुक्त जो,वह है माँ की गोद।।19
पल में देती न्याय वह,मर्ज़ करे तकसीम।
माँ जैसा कोई नहीं, मुंसिफ और हकीम।।20
डाॅ बिपिन पाण्डेय