दोहे मन को भाए
【१】
हम जी रहें दबाव में, होकर सदा उदास ।
कब तक हम बनकर रहें, भीरूपन के दास ।।
【२】
जो जन डरते है सदा, जगत डराए रोज ।
अपने डर को मारिए, निश्चय होगी मौज ।।
【३】
सौ बार के उपकार से, बड़ा एक अपकार ।
दुनिया ऐसी ही बनी, संयम रखें न यार ।।
【४】
दुनिया पैसे से चले, पैसा है तो यार ।
खाली जिसकी जेब है, जग समझे बेकार ।।
【५】
मतलब की यारी बची, मतलब के इंसान ।
बिन मतलब आए नहीं, होंठो पर मुस्कान ।।
【६】
कच्चा धागा सूत का, जल्दी जाता टूट ।
जैसे रिश्ते मतलबी , होते नही अटूट ।।
—-जेपीएल