#दोहे-#प्रीतम के प्रीतम के लिए
#दोहे-#प्रीतम के प्रीतम के लिए
फन लेता है जान भी,देता फ़न यश मान।
प्रीतम करना सीखिए,शब्दों की पहचान।।
रेखा रेखा देख के,टूटी हुई हताश।
विश्वास गया उर बने,अब धरती आकाश।।
सजा सज़ा पाकर दिखे,गुलशन गई बहार।
पहना चोरी हार तो,हार मिली उपहार।।
अंतर से अंतर जले,सीखो समझो आज।
शक्ति एकता में बड़ी,सरल करे हर काज।।
अंक अंक में अंक है,जन्म मरण का काल।
अंक पूर्ण हो अंक ज्यों,मिले नहीं तत्काल।।
आली आली में खड़ी,मटकाती है नैन।
खंजन बनके मैं हुआ,नैनों से बेचैन।।
चंचल मन है क्या करूँ,हो जाता बेताब।
निशि-वासर मैं देखता,तेरे ही बस ख़्वाब।।
वास करे घर चंचला, निर्धन बने अमीर।
गिरके चमके चंचला,छीने प्राण शरीर।।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित #दोहे