दोहे “धन वर्षा :अमृत वर्षा
दोहे “धन वर्षा: अमृत वर्षा
धनतेरस का पर्व ये, लक्ष्मी का त्योहार।
घर -घर में सबने लिए,नए-नए उपहार।।
देव,तिजोरी पूज कर, पाओ मोदक भोग।
अमृत औषधी पान कर, दूर भगाओ रोग।।
झालर – दीपों से सजीं,जगमग सब दीवार।
रौशन हर घर हो गया, शोभा अपरंपार।।
कपड़े, बरतन, फुलझड़ी,सजे हुए बाज़ार।
स्वर्ण, रजत, मिष्ठान से, लोगों को है प्यार।
माटी के दीपक जलें, गाँव, शहर अरु देश।
त्याग प्रदूषण तम हरें, स्वच्छ बने परिवेश।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)