#दोहे – ‘अनमोल’
#दोहे- ‘अनमोल’
स्वयं हेतु हों मौज़ सब,पर को हाहाकार।
मानवता ये तो नहीं,ओछापन है यार।।//1
दंभ ठूँठ बन जो किया,टूटे तरु तूफ़ान।
झुका समय की माँग पर,बचा लिए वो मान।।//2
बदल नजरिया देखिए,सभी मुसीबत दूर।
दाग़ नहीं तक चाँद को,लिए चाँदनी पूर।।//3
काम अधिक कर बात कम,सही दिशा मत भूल।
दिशा सुधारेगी दशा,निशि-वासर अनुकूल।।//4
शासन सत्ता का नशा,चढ़े भुलाए मूल।
रावण हो या कंश हो,मरे नियम प्रतिकूल।।//5
हार जीत तो सोच है,सोच सही में सीख।
सीख हँसाए ज़िंदगी,नहीं ज़िंदगी भीख।।//6
प्रीतम चलते जाइए,सही दिशा की ओर।
पल-पल होगा कम सफ़र,आए मंज़िल छोर।।//7
#आर.एस. ‘प्रीतम’