दोहा
पलकें अनशन कर रहीं, आँखें बेउम्मीद
अगर मोल मिल जाय तो, ला दो कोई नींद
बेलन जब सर पर पड़े, चले न कोई जोर
बीबी जब मारन लगी, कर न पाये शोर
अतुल पुण्ढीर
पलकें अनशन कर रहीं, आँखें बेउम्मीद
अगर मोल मिल जाय तो, ला दो कोई नींद
बेलन जब सर पर पड़े, चले न कोई जोर
बीबी जब मारन लगी, कर न पाये शोर
अतुल पुण्ढीर