"जिस बिल्ली के भाग से छींका टूट जाए, उसे कुछ माल निरीह चूहों
देखकर उन्हें देखते ही रह गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
यादों के सहारे कट जाती है जिन्दगी,
खुद को जानने में और दूसरों को समझने में मेरी खूबसूरत जीवन मे
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
*बुरे फँसे सहायता लेकर 【हास्य व्यंग्य】*
यह कैसी खामोशी है
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
(13) हाँ, नींद हमें भी आती है !
सुकून में जिंदगी है मगर जिंदगी में सुकून कहां
23/103.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
निशानी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है
रमेशराज के पर्यावरण-सुरक्षा सम्बन्धी बालगीत