शब्दों से कविता नहीं बनती
.......…राखी का पर्व.......
किया पोषित जिन्होंने, प्रेम का वरदान देकर,
है वक़्त बड़ा शातिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं