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29 Sep 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . . .

अवगुंठन में प्रीति के, शंकित क्यों स्वीकार ।
आलिंगन में हो सृजित , सपनों का अंबार ।।

बड़ी अजब है इश्क के, अरमानों की आँच ।
इसके ख्वाबों को भला , कौन सका है बाँच ।।

रह – रह कर यह धड़कनें, याद करें वो बात ।
कैसे बीती वस्ल की, बारिश वाली रात ।।

सुशील सरना / 29-9-24

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