धरती का बेटा
13. धरती का बेटा
जेठ की दुपहरी मे ,
माघी शीत लहरी मे,
खुले आसमान तले,
जाने कौन लेटा है ।
बादल की छाँव मे ,
बरगद की ठॉव मे ,
अँधियारी सॉझ ढले ,
साधे मौन लेटा है ।
फटी सी चादर एक ,
डेढ हाथ धरा छेक ,
आधी बिछाए और ,
आधी मे लपेटा है ।
जानते हो कौन है ,
ऊपर से मौन है ,
अंतर से अश्रुगलित ,
धरती का बेटा है ।
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