#दोहावली
रंग प्रेम का जब चढ़े, बदले मन व्यवहार।
यौवन का होने लगे, पल-पल नव शृंगार।।
रंगों का त्योहार है, होली जिसका नाम।
रंगोली से हम बने, देता यह पैग़ाम।।
भाईचारा हो जहाँ, फूले फले समाज।
जीने का आए मज़ा, सँवरे कल अरु आज।।
ख़ुशी मिले देकर ख़ुशी, बाँटो ख़ुशी हज़ार।
जल से ज्यों बादल बने, बादल से जलधार।।
भूलें कभी न भूलकर, ऐसा करें मिलाप।
प्रेम-शक्ति संसार में, जिसका मिटे न जाप।।
कभी नहीं होगा तुझे, किसी मनुज से रंज़।
बुरा लगे जिसको वही, कसना मत तू तंज़।।
करता कार्य महान जो, उसके गूँजें गीत।
जैसे सूरज-चाँद से, जग की गहरी प्रीत।।
झूठ बोलना छोड़िए, खुले एक दिन पोल।
चर्चे होंगे आपके, ख़ूब बजाकर ढोल।।
बढ़ा सदा संबंध तू, प्रेम चलेगा संग।
प्रेम छोड़कर एकदिन, सभी उड़ेंगे रंग।।
जोगीरा तब साथ में, मिले सफलता डोर।
आत्म-ज्ञान पहचान कर, सदा बढ़ो इस ओर।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’