Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2024 · 1 min read

#दोस्त_का_रिश्ता !दुनिया में सबसे कम समझा गया रिश्ता है

#दोस्त_का_रिश्ता !दुनिया में सबसे कम समझा गया रिश्ता है
इसलिए हम हर रिश्ते को दोस्ती कहने लगते हैं
दोस्त वह होता है
1. जो आपके जीने के तरीके से आकर्षित होता है आपके पद,प्रतिष्ठा,सुंदरता या पैसे से नहीं
2. जो आपको कभी जज नहीं करता क्योंकि आपके ऐसे होने के कारण ही वह आपका दोस्त है
3.जो आपकी ख़ुशी,आपकी चिंता और आपके सपनों को आपके बताने से पहले समझ जाता है
4.जो आपके कहने से पहले आपके लिए आपकी जरुरत समझ जाता है
5.जो आपमें आ रहे नकारात्मक परिवर्तन को सबसे पहले भांप लेता है और आपको उसके लिए सचेत करता है
6.जो आपकी हर उपलब्धि पर आपसे ज्यादा खुश होता है
7.जो आपकी हर मुसीबत में आपके साथ खड़ा रहता है
8.जो पूरी ताकत लगाकर आपको गलत काम करने से रोकता है
9.जो आपके भीतर छुपी संभावनाओं को आपसे बेहतर जानता है
10.जो आपको हर दिन और बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है
11.जो आपमें घमंड,आलस,निराशा नहीं जन्मने देता
12.जो आपको हर रिश्तें में परफेक्ट बनाता है
13.और जो आपके बेहतरीन रूप को सामने लाता है
क्योंकि दोस्त ईश्वर द्वारा भेजी गयी आपकी संभावनाओं की चाभी होता है
#friendship #friends
#FriendshipDay

54 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी हैसियत
मेरी हैसियत
आर एस आघात
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
DrLakshman Jha Parimal
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
पूर्वार्थ
बेटी दिवस पर
बेटी दिवस पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक साथ मिल बैठ जो ,
एक साथ मिल बैठ जो ,
sushil sarna
I am Yash Mehra
I am Yash Mehra
Yash mehra
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मेरा वजूद क्या
मेरा वजूद क्या
भरत कुमार सोलंकी
हाइकु: गौ बचाओं.!
हाइकु: गौ बचाओं.!
Prabhudayal Raniwal
ସେହି ଭୟରେ
ସେହି ଭୟରେ
Otteri Selvakumar
जग कल्याणी
जग कल्याणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शेर-
शेर-
*प्रणय प्रभात*
"नए पुराने नाम"
Dr. Kishan tandon kranti
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
तू अपने दिल का  गुबार  कहता है।
तू अपने दिल का गुबार कहता है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अंतर्मन
अंतर्मन
गौरव बाबा
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
समय-सारणी की इतनी पाबंद है तूं
समय-सारणी की इतनी पाबंद है तूं
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी जी भर जी कर देख लिया मैंने,
ज़िंदगी जी भर जी कर देख लिया मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काव्य का राज़
काव्य का राज़
Mangilal 713
जैसा सोचा था वैसे ही मिला मुझे मे बेहतर की तलाश मे था और मुझ
जैसा सोचा था वैसे ही मिला मुझे मे बेहतर की तलाश मे था और मुझ
Ranjeet kumar patre
3738.💐 *पूर्णिका* 💐
3738.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सहारा...
सहारा...
Naushaba Suriya
पिता
पिता
Neeraj Agarwal
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
gurudeenverma198
साहित्य सृजन .....
साहित्य सृजन .....
Awadhesh Kumar Singh
कर्म से कर्म परिभाषित
कर्म से कर्म परिभाषित
Neerja Sharma
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
Loading...