दोस्त वही जो ढाल बने
उर से उर की तार मिले
दुख-सुख में सौ बार मिले
दोस्त वही जो ढाल बने
दुश्मन के लिए तलवार बने.
ना धर्म लड़े ना कर्म लड़े
दिन-रात हो जिससे मन ये जुड़े
हो पावस ग्रीष्म हेमंत ऋतु
लेकर हाथ हो साथ खड़े.
जब चित्त हो विकल अधीर बड़े
जो कहे कि हम हैं पास तेरे
दशा कोई हो इस जीवन का
संग में हर अवसाद हरे.
भारती दास ✍️