दोस्त तो दो !
जो हो पैसे से गरीब,
दिल का हो बड़ा अमीर,
ए खुदा!, ए मेरे मौला !
कोई ऐसा दोस्त तो दो ।
भले इफरात जाजिब न हो,
पर हो बेशक वह बे नज़ीर,
दोस्ती सबकुछ जिसके खातिर,
कोई ऐसा दोस्त तो दो ।
पढ़ा लिखा हो या हो अनपढ़,
भले मन मस्त मगन गुमगस्ता हो,
हर दर्द की दवा पिलाने वाला,
कोई ऐसा दोस्त तो दो ।
बात-बात पर लड़ने वाला हो,
मुसीबत में मेरे आगे चलने वाला,
जो रोज खुर्रम का दीदार कराये,
कोई ऐसा दोस्त तो दो ।
एक ही रोटी पास में उसके,
आधी खाए आधी मुझे खिलाएं,
निश्चल प्रेम पुजारी दिल का,
कोई ऐसा दोस्त तो दो ।
सर्वाधिकार सुरक्षित।
कवि हेमंत गौतम