“दोस्त और मुश्किल वक़्त”
क्या गम है जो तुझे खा रहा है,
क्यों तेरी आँखे आज नम है,
जो है सैलाब तेरे दिल में आ कह दे फ़िर मुझसे,
सिर्फ़ तेरा यार नहीं तेरा भाई हूँ मैं,
सुख और दुख दोनों में तेरे साथ हूँ मैं,
ये एक काली रात है गुज़ार जायेगी, हिम्मत रख मेरे भाई खुशियां वापस आएंगी,
यूँ तो लड़ाई तू खुद अंदर ही अंदर लड़ रहा है पर घबराता क्यों है जब तेरा भाई तेरे साथ खड़ा है,
जो गया उसे अब जाने दे, क्यों अब आधा सा रिश्ता लिए घूम रहा है,
वो दो पल का साथी था वो चला गया, अब क्यों उसके पीछे जाना है,
ज़िन्दगी और अपनों के ख़ातिर तुझको वापस लौट कर आना है,
चल बैठ मेरे साथ हाथों में ले कर जाम,
याद करेंगें वो मस्ती भरे दिन और वो समंर की शाम,
अब मुस्कुरा खुल के और जी ले ये ज़िन्दगी आज़ादी से मेरी जान।
“लोहित टम्टा”