दोस्त और दोस्ती
दोस्त और दोस्ती गलत कहां हैं।
देने का नाम दोस्त और दोस्ती हैं।
बस हमारे मन और सोच होती हैं।
दोस्त और दोस्ती निःस्वार्थ भाव हैं।
न कहना न सुनना बस समझ होती हैं।
बस हम समझे तो दोस्त दोस्ती होती हैं।
जिंदगी में सच हमारी दोस्ती रहतीं हैं।
दोस्त ही तो एक हाल हमारे पूछ्ते हैं।
कभी सोच और व्यवहार हमारे कहते हैं।
हम सभी की अपनी अपनी सोच होती हैं।
बस दोस्त की दोस्ती में साथ सूकुन रहता हैं।
आज भी कल भी सब रिश्तों में दोस्ती हैं।
दोस्ती में प्रेम चाहत आकर्षण भी रहता हैं।
बस हमें दोस्त की दोस्ती को निभाना हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र