दोस्त………….एक विश्वास
रंगमंच के किरदार में भी दोस्त होता हैं।
आधुनिक सोच का भी मान होता हैं।
सच तो बस एक हमारी दोस्ती है।
क्यूं एक दोस्त ही साथ देता हैं।
अरे सब ठीक होगा,मैं हूं न
दोस्त ही साथ और हौसला होता हैं
जिंदगी, में सच एक ही दोस्त होता हैंं।
बाकी तो शब्द और अर्थ कहते हैं।
दोस्ती में भेदभाव छल न होता हैं।
हकीकत और किरदार बोलता है।
दोस्ती कहने या बताने से न होती हैंं।
दोस्त की दोस्ती बस निभाने से होती हैं।
आओ हम भी दोस्त बन सकते हैं।
न फरेब न छल बस विश्वास कर सकते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र