दर्द को यारों छुपाना आ गया
दर्द को यारों छुपाना आ गया
चोट खाकर मुस्कुराना आ गया
देखकर मेरी शराफ़त क्या कहूँ
हर किसी को दिल दुखाना आ गया
ढूँढने से भी नहीं मिलता सुकूँ
दोस्तों ये क्या ज़माना आ गया
लब पे थोड़ी सी ख़ुशी जो आ गयी
यूँ लगा जैसे खज़ाना आ गया
जिसने भी मेरी बहुत तारीफ़ की
अब उसे तोहमत लगाना आ गया
सोचकर ‘आकाश’ ये हैरान हूँ
यार को खंजर चलाना आ गया
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 09/04/2022