–दोस्तों की दुवाएँ–
दोस्तों की दुवाएँ
*************
दोस्तों की दुवाएँ सुरभित सुगंध-सी हैं।
हौंसला देती ख़ुदा के संबंध-सी हैं।।
हृदय में सपनों के फूल खिलाएँ हमने।
सजाती उन्हें बहार बन प्रबंध-सी हैं।।
प्यार रोशन करें दीपक की तरह सदैव।
मिटाती ग़मे-तम ये अनुबंध-सी हैं।।
दिलों का ये प्यार फलता ही रहे दोस्तों!
अनुभूतियाँ इसकी लगें आनंद-सी हैं।।
चलो दिल में बसने का मौसम आया अब।
बसती यह जिस तरह फूल मकरंद-सी हैं।।
इन्हें कैसे भुला पाऊँगा जीवन भर ।
गले मिलती मानिए ये गलबंध-सी हैं।।
इनकी अहमियतें क्या हैं मैं जानता हूँ।
इरादे करती सदा यार बुलंद-सी हैंं।।
“प्रीतम”कर्म करो फल की परवाह छोड़ो।
दोस्तों की दुवाएँ ही फल मानिंद-सी हैं।।
—-राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
—————————————-