दोस्ती
….दोस्ती…..
मैं वादा करती हूं,
आखरी सांस तक दोस्ती निभाऊंगी।
तुम अगर भूल भी जाओगे,
याद हमें तुम्हारी जरूर आयेगी।
फर्क नही पड़ता
तुझे किसीसे गम बांटते देख,
होठों की खुशियों की महफिल सजाते देख,
ऐ दोस्त खुदसे वादा है,,
उम्र भर दोस्ती निभाना है,
भूल जाओगे तुम हमें महफिल में,
तन्हाई में गम बांटने आयेंगे हम,
कर लेंगे तेरे कम हर गम।
बस एक तुझसे वादा या कहो तो ,
इस दोस्ती की वजह चाहते,
छोड़ जाए जमाना,
तो याद हमें करना ,
तन्हाई सताए,
दो अल्फाज हमें बताना,
आंखों में नमी हो,
तो है किसकी कमी जरा हमे बताना।
ऐ दोस्त भूल जाए जमाना
मगर तूने एक दोस्त कमाया है,
उसका बस वादा निभाना।।
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Naushaba Jilani Suriya