दोस्ती
आज हम दोस्ती को ही महत्वपूर्ण मानते हैं। और हम आज आधुनिक समय में दोस्त एक शब्द न समझे आओ हम दोस्ती की एक कहानी पढ़ते हैं इस कहानी के किरदार आप और हम हैं
जीवन और मृत्यु दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं अजय और संजय दोनों एक अनाथालय में दोस्त बनते हैं जबकि अजय संजय से 4 वर्ष बड़ा है और सरकार अनाथालय में केवल 18 वर्ष तक पालन पोषण करती है उसके बाद अपने पैरों पर खड़ा होने की बात कहकर अनाथालय से जाने का फरमान जारी कर देती हैं। अजय 18 वर्ष का पूरा हो चुका होता है और वह संजय को छोड़कर जाने का सपना भी नहीं देख पाता है आज की रात संजय और अजय के लिए बहुत अहम थी क्योंकि कल संजय और अजय एक दूसरे से बिछड़ जाएंगे तब अजय संजय से कहता है तुम चिंता मत करना मैं तुमसे मिलने रोजाना आया करूंगा और तुम्हारे लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाया करूंगा संजय कहता है मुझे तो तुम्हारा साथ अच्छा लगता था आप दिन भर मुझे और रात भर मुझे तुम्हारी याद आएगी जो तुम्हारे साथ दिन हंसी खुशी गुजरे इस अनाथालय में अब मैं एक बार पुनः अनाथ होने जा रहा हूं ऐसा कहते हुए संजय रोने लगता है अजय कहता है कि ऐसा नहीं कहते और 5 साल की बात है तुम भी मेरे साथ रहोगे मैं बाहर जाकर कोई अच्छा काम धंधा ढूंढ लूंगा जिससे तुम्हें कोई परेशानी नहीं हुई और सुबह होती है अजय को अनाथालय वाले उसके सम्मान के साथ उसे बाहर भेज देते है और कहते हैं कि अब तुम यहां कभी मत आना क्योंकि यहां जो रहकर चले जाता है उसे यहां किसी से मिलने नहीं दिया जाता है क्योंकि वह यहां की सारी बातें जान चुका होता है अब अजय को एहसास होता है कि वह संजय से झूठ बोल कर बाहर आ गया और दिन बीतते हैं। उधर संजय भी 18 वर्ष का होता है और अनाथालय से बाहर आ जाता है वह क्या देखता है सामने एक ठेला खड़ा है जो चाय समोसे बना रहा है संजय को बहुत भूख लगी थी वह ठेले के पास जाकर खड़ा हो जाता है और चाय पीते समोसा खाते लोगों को देखता रहता है इतने में एक नौजवान आता है और उसको एक प्लेट में चाय और समोसा दे जाता है और कहता है भाई खाओ संजय की आंखों से आंसू बहने लगते हैं और वह रहता है भाई मत कहो मुझे इस नाम के शब्द से नफरत है क्योंकि एक दोस्त ने मुझे भाई बनाया था और वह मुझे आज तक मिलने नहीं आया तभी अजय उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है नौजवान अजय संजय से कहता है तू सच कहता है परंतु मैंने तेरे याद में 1 दिन भी इस अनाथालय से कहीं नहीं गया मैंने सब कुछ मेहनत करके यह ठेला खरीद कर मैं रोज रात को यहीं सो जाता था कब मेरा दोस्त आएगा और मैं उसको मिलूंगा और दोनों के गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं और दोनों एक दूसरे से गले मिलकर फिर दोस्ती के शब्द को समझ जाते हैं और एक दूसरे का साथ निभाते हुए खुशी-खुशी साथ रहने लगते हैं।।