दोस्ती का रिश्ता
रिश्ता जो खुद बन जाता है
जीवन को मधुर बनाता है
छोटा बड़ा नहीं देखता जो
वही रिश्ता मित्रता कहलाता है।।
सुख दुख में शामिल होता है
परिवार के सदस्य सा होता है वो
जब भी आए मुश्किल की घड़ी
आपके साथ खड़ा होता है वो।।
दिल से बड़ा रिश्ता दर्द का होता है
बिना बताए आपके दर्द समझ जाता है
बिना कहे मदद का हाथ बढाता है
वही शक्स सच्चा मित्र कहलाता है।।
सीमाओं में नहीं बांध सकते दोस्ती को
ये अमीरी गरीबी भी नहीं देखता है
न ही देखता है उम्र किसी की ये रिश्ता
ये तो बस मन का मिलन देखता है।।
आज की दुनिया में आए जो मुश्किल कोई
तो अपने भी छोड़ देते है अपनो का साथ
बस एक कर्ण सा मित्र मिल जाए जो भाइयों
को छोड़ कर भी देता था मित्र का साथ।।