Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 4 min read

“दोस्ती का मतलब”

सभी दोस्तों को लग रहा था कि मिश्राजी पिछले काफी दिनों से चिंता में रहने लगे है। उनकी नजर में उनका भरा पूरा परिवार है। पत्नी, बेटा, बहू, एक पोता और एक बच्चा होने वाला है, बेटी भी अपने घर मे खुशहाल है। व्यापारी आदमी है इसलिए स्थान परिवर्तन की समस्या भी नहीं है।
मगर उनसे पूछे कौन? एक रविवार को सभी दोस्त गार्डन में बैठे थे तो अशोक जी ने इस बात को उठाया और चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। पहले तो वे कुछ भी बताने से मना करते रहे, फिर सबने जोर दिया तो वो कहने लगे कि उनकी बहू को बच्चा होने वाला है, उनकी पत्नी की तबियत ठीक नहीं रहती और वो बहू को मायके भेजने पर भी राजी नहीं हो रही है। यही उनकी चिंता का कारण है। सभी दोस्तों ने इसका कारण पूछा तो वो कहने लगे कि सामाजिक व्यवहार के कारण पिछली डिलीवरी बहू के मायके में ही हुई थी सो अबकी बार उसे वहां नहीं भेज सकते और वहां से भी कोई खास व्यवस्था नहीं हो सकती।
पारिवारिक मामला था इसलिए कोई दोस्त कुछ बोल नहीं पाया और वे सब अपने अपने घर चले गये। मिश्रा जी भी चिंतित मुद्रा में अपने घर की तरफ चल पड़े।
अगले दो तीन दिन तक मिश्राजी गार्डन में घूमने भी नहीं आये तो सभी दोस्तों के चहरे उतर गए। सभी के घर का माहौल भी चिंताग्रस्त हो गया।
दो दिन बाद उनके दोस्त गुप्ता जी की लड़की ससुराल से आई हुई थी, उसने अपने पापा को इस तरह उदास देखा तो कारण पूछा। गुप्ताजी ने उसे सारी बात बताई तो उसने अपनी माँ को आवाज लगाई और उनको अपने पास बैठा कर कहा मम्मी अगर ऐसी परिस्थिति हमारे साथ हो तो तुम क्या करोगी। उसकी माँ ने कहा कि मै अकेली हूँ और मेरी तुम अकेली सन्तान हो अगर हमारे साथ ऐसा हो तो मै अपनी सहेलियों की मदद लेती। बस रास्ता मिल गया। उसने अपने पापा से कहा – पापा आप सब दोस्त हैं तो आपके परिवार के लोगों में भी आपस में दोस्ती होनी चाहिए ताकि किसी भी अच्छे बुरे समय मे सब एक दूसरे का सहारा बन सके।
गुप्ताजी को तो मानो जीवनदान मिल गया। उन्होंने अपनी बेटी के सिर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया और अपनी पत्नी की तरफ देखा तो उन्हें उनके चहरे पर भी खुशी भरी हामी दिखाई दी।
गुप्ताजी दिनभर अगले दिन की प्रतीक्षा में रहे और सुबह जल्दी से गार्डन की ओर चल पड़े, आज उनकी चाल निराली लग रही थी, जैसे जैसे सब दोस्त इकट्ठा हुए तो उन्होंने घूमने की बजाय सब को एक जगह बिठाए रखा। मिश्रा जी आज भी नहीं आये थे और किसी को कुछ समझ भी नहीं आ रहा था। शर्मा जी ने पूछा कि भाई आज सब को यूँ ही क्यों बैठा रखा है तो उन्होंने अपने घर पर हुई सारी बात उन लोगों को बताई और एक सवालिया नजर उन सब पर डाली। अशोक जी तुरन्त बोले भई वाह आपकी लड़की तो बहुत समझदार है। हम सबके दिमाग मे यह बात क्यों नहीं आई। और सबको संबोधित करते हुए कहा कि हम सब आज ही अपने घरों में इसकी चर्चा करेंगे और शाम को सब अपनी अपनी पत्नियों के साथ मेरे घर पर मिल रहे हैं। सभी खुश नजर आ रहे थे।
शाम को सभी दोस्त अपनी अपनी पत्नियों के साथ अशोक जी के घर पर इकट्ठा हुए। आपस मे विचार विमर्श किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि सही में हमें आपस मे मिलकर इस अवसर को एक दूसरे की जरूरत समझ कर कार्य करना चाहिए।
अगला दिन रविवार था और सब लोग मिलकर मिश्रा जी के यहाँ जाने का प्रोग्राम बनाने लगे। गुप्ताजी ने तुरंत मिश्राजी को फोन करके बताया कि कल सुबह हम सब आपके घर आ रहे हैं। मिश्राजी कुछ समझ नहीं पाए परन्तु उन्होंने हामी भर दी।
अगले दिन सुबह सब लोग कुछ फल और मिठाई लेकर मिश्राजी के घर पहुँचे, उन्हें देख कर मिश्राजी की पत्नी और बहू आश्चर्यचकित हो गए और वे उनकी आवभगत करने लगे तो सब महिलाओं ने एक साथ उन्हें ऐसा करने से रोका और अपने पास बैठने को कहा।
गुप्ताजी की पत्नी ने माफी मांगते हुए कहा – भाभीजी आप हमारे पतियों को माफ करियेगा कि उन्होंने आज तक हमें आपकी स्थिति के बारे में कभी नहीं बताया। आज से हम सब एक परिवार की तरह हैं और आपके घर मे जो शुभ प्रसंग होने वाला है उसमें हम सब आपके साथ हैं आप किसी भी प्रकार की चिंता ना करें। मिश्राजी के परिवार ने कृतज्ञ भाव से उन सबका धन्यवाद करना चाहा तो पंडित जी बोले भाई धन्यवाद करना है तो हमारा नहीं गुप्ताजी की लड़की का करो जिसने हमें दोस्ती का मतलब समझाया है।

3 Likes · 3 Comments · 492 Views

You may also like these posts

प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Neeraj Pandey
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
Dr Archana Gupta
10 अस्तित्व
10 अस्तित्व
Lalni Bhardwaj
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
शेखर सिंह
स्वयं पर नियंत्रण रखना
स्वयं पर नियंत्रण रखना
Sonam Puneet Dubey
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जल्दी आओ राम बाद में
जल्दी आओ राम बाद में
Baldev Chauhan
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
Neelofar Khan
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
Ashwini sharma
"आस्था सकारात्मक ऊर्जा है जो हमारे कर्म को बल प्रदान करती है
Godambari Negi
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर
gurudeenverma198
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
Kumar lalit
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
Rj Anand Prajapati
तितली-पुष्प प्रेम :
तितली-पुष्प प्रेम :
sushil sarna
विषय-घटता आँचल
विषय-घटता आँचल
Priya princess panwar
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
Ranjeet kumar patre
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
Ravi Prakash
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शुक्ल पक्ष एकादशी
शुक्ल पक्ष एकादशी
RAMESH SHARMA
रूह की अभिलाषा🙏
रूह की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पहले से
पहले से
Dr fauzia Naseem shad
किसी बच्चे की हँसी देखकर
किसी बच्चे की हँसी देखकर
ruby kumari
2795. *पूर्णिका*
2795. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुखौटा
मुखौटा
Yogmaya Sharma
నా గ్రామం
నా గ్రామం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...