** दोस्ती का बीज **
दोस्ती का बीज जब अंकुरित होता है धीरे-धीरे
दिल-पीर माफ़िक—बर्फ पिघलती है धीरे-धीरे
कहते हैं दोस्त का दिल दरिया है प्यार-समुद्र है
दुःखदर्द नदी बन मिलते है उसमें बस धीरे-धीरे।।
मधुप बैरागी