दे कलम कटार माँ
आधार छंद-शिव
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दे कलम कटार माँ।
तीक्ष्ण तेज धार माँ।
दीप्त ज्योति ज्ञान की,
दे हमें अपार माँ।
दिव्य छंद ताल दे,
भाव बेशुमार माँ।
शब्द कोष को भरो,
गूढ़ हर विचार माँ।
चक्षु खोल दीजिये,
दूर हो विकार माँ।
श्रेष्ठ शिल्प साधिका,
लेखनी सुधार माँ।
करें काव्य साधना,
शिल्प दो निखार माँ।
दोष एक हो नहीं,
खोल बुद्धि द्वार माँ।
कव्य नित रचूँ नया,
है यही पुकार माँ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली